माता पिता की सेवा को जीवन किया समर्पित।
बेटे से बढ़कर फर्ज निभा रही डा.पूनम गुप्ता।
रिपोर्ट: अरूण कश्यप
हरिद्वार।हमारी भारतीय परंपरा में आज भी अधिकांश परिवारों में बेटों को बेटियों की अपेक्षा ज्यादा तवज्जो दी जाती है,तथा उन्हें ही परिवार की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी भी दी जाती है ,कई मां-बाप तो ऐसे हैं जो बेटी पैदा होने पर दुखी भी होते हैं,ऐसे मां-बाप के लिए डॉक्टर पूनम गुप्ता वाकई एक बड़ा उदाहरण है, जो उनकी इस मानसिकता को बदल देगी कि बेटियां किसी भी रुप में बेटों से कम है, ज्वालापुर निवासी डॉक्टर पूनम गुप्ता की जीवनी और उनके कार्यों को पढ़कर हर एक मां-बाप बेटा और बेटी में फर्क करना छोड़ देंगे उल्टा बेटियों को अधिक महत्व देने लगेंगे।
अपने माता– पिता की सेवा के लिए अपने निजी जीवन का बलिदान देने वाली पूनम गुप्ता अपने पिता अवध बिहारी गुप्ता को अपना आदर्श मानती है 1992 में एक दुर्घटना का शिकार हो गए उसके बाद वो ठीक से चलने के लायक भी नहीं रहे उस समय पूनम गुप्ता की उम्र केवल 16साल थीं तब से पूनम गुप्ता ने अपना पूरा जीवन उनकी सेवा को समर्पित करने का प्रण लिया,
जब तक वो जिए तब तक पूनम गुप्ता ने उनकी सेवा की और उनके जाने के बाद अब उनके नाम से श्री अवध बिहारी ट्रस्ट बनाकर समाज सुधार और सेवा के दर्जनों काम कर रही है ,
डॉक्टर पूनम गुप्ता ने अपने माता-पिता की सेवा के लिए अपनी शादी तक नहीं की ।अकाउंट में पीएचडी जैसी बड़ी डिग्री हासिल करने के बाद पूनम गुप्ता 2004 में प्रदेश में मशरूम कोऑपरेटिव की डायरेक्टर भी रही है, 2002 में उन्होंने हरिद्वार विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा, 2004 से उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू किया और सिंचाई विभाग में एक ग्रेड की ठेकेदार भी रही लेकिन मां-बाप की नियमित सेवा कर सके इसके लिए उन्होंने 2017 में ठेकेदारी छोड़ दी।
डॉक्टर पूनम गुप्ता आज हरिद्वार की उन खास शख्सियतों में से एक है जो निस्वार्थ भाव से सही मायने में सच्ची समाजसेवा कर रही है, आज वो दर्जनों बच्चो को शिक्षा देने से लेकर रक्तदान के क्षेत्र में भी बड़ा योगदान दे रही है,