कोई तो बताए सरकार कब होगा तटबंध तैयार,
पिछले कई वर्षों से बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं लक्सर व खानपुर विधानसभा गांव के ग्रामीण
एक बार फिर नीलधारा गंगा के खतरे के साए में लक्सर व खानपुर विधानसभा के दर्जनों गांव
रिपोर्ट। डॉ नीरज शर्मा रणखंडी
लक्सर। नील धारा के किनारे पर स्थित एक बार फिर लक्सर क्षेत्र के तीन दर्जन से अधिक गांव पर बाढ़ का खतरा मंडरा गया है। ऐसे में अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं किया गया तो ग्रामीणों को फिर से बाढ़ की विभिषिका झेलनी पड़ेगी। ऐसे में ग्रामीणों को आसमान पर बादल छाते ही बाढ़ का खतरा सताने लगता है।
बताते चले कि लक्सर तहसील क्षेत्र के गंगा तटीय इलाके में बसा हुआ है। गंगा नदी के किनारे लगभग 40 से अधिक गांव स्थित है जो कई दशकों से बाढ़ का कहर झेलते आ रहे हैं। ग्रामीण पिछली त्रासदी को भूलते नहीं की फिर से उनके सामने नई चुनौती खड़ी हो जाती है। गौरतलब है कि 2013 में आई बाढ़ के दौरान नीलधारा गंगा ने त्रासदी की ऐसी कहानी लिखी जिसके जख्म आज तक नहीं भरे हैं। लोग उन जख्मो के दर्द से आज तक कराह रहे है। 2013 में नीलधारा गंगा में आई बाढ़ से बालावाली से लेकर उत्तरप्रदेश के रामसहायवाला गांव तक तटबन्ध टूट गया था। जिसकी मरम्मत आज तक नही हो सकी। नीलधारा गंगा के कहर ने लोगो को घर से बेघर कर दिया था। फसलें भी चौपट हो गई थी लोग छतो पर रहने को मजबूर गो गए थे। लेकिन नील धरा गंगा का कई किलोमीटर लंबा तटबंध आज भी क्षतिग्रस्त पड़ा है। हर वर्ष विभाग दावे करता है की बरसात आने से पहले समय रहते तटबंध की मरम्मत कर ली जाएगी। अधिकारी तटबंध का निरीक्षण करने पहुंचते हैं। लेकिन मरम्मत नहीं हो पाती इस बार भी ऐसा ही हुआ। मौसम विभाग ने एक सप्ताह का भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। जिससे बालावाली गंगा नदी से सेट दर्जन भर से अधिक गांव बाढ़ के साए में जी रहे हैं। तटबंध की मरम्मत के निरीक्षण के लिए अधिकारियों का जमावड़ा देखकर लोगो को लगता है कि शायद इस बार तटबन्ध की मरम्मत हो जायेगी। लेकिन ऐसा हो नही पाता और लोग मायूस रह जाते है। ग्रामीण ब्रह्मपाल सिंह चौहान शिवकुमार चौहान सुरेश कुमार चौहान जसवीर सिंह का कहना है कि ग्रामीणों को नीलधारा गंगा के कहर का सामना करना पड़ता है अधिकारी बड़े-बड़े दावे तो करते हैं मगर धरातल पर कुछ नहीं हो पता हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। बरसात शुरू हो गई है अगर पहाड़ से लेकर मैदान तक भारी बारिश हो जाती है और गंगा नदी में पलट आता है तो किसानों की हजारों बीघा हेक्टर कृषि भूमि जलमग्न हो जाएगी और रियासी इलाकों में भी बाढ़ जैसे हालात बन जाएंगे। दर्जनों गांव के लोग परेशान है मगर उनकी परेशानी सुनने वाला कोई नही है। इस बार भी अधिकारी अपना वही रवैया अपना रहे है और कह रहे कि टीम भेज दी गई जल्दी ही रिपोर्ट आ जायेगी रिपोर्ट आते ही मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन हर बार ऐसा अधूरे सवाल का जवाब ग्रामीणों के सामने ज्यों का त्यों रह जाता है।