शिक्षा की अलख जगा रहा उत्तराखंड पुलिस का ये इंस्पेक्टर
रिपोर्ट:दिशा शर्मा
देहरादून! संविधान निर्माता डॉक्टर भीम राव आंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का वो दूध है जो पियेगा जो दहाड़ेंगा,
यानि शिक्षा हमारे जीवन में उतनी ही जरूरी है जितना भोजन पानी।
किंतु कई ऐसे बच्चे हैं जो पढ़ना चाहते हैं किंतु संसाधनों के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पाते,
अपने आसपास ऐसे ही जरूरतमंद बच्चों को चिन्हित कर उन्हें उनकी कक्षाओं की किताबें उपलब्ध कराने का बीड़ा पिछले कई सालों से उत्तराखण्ड पुलिस के एक इंस्पेक्टर मनोज मैंनवाल ने उठाया हुआ है,
मनोज पिछले चार साल से इस नए सत्र के दौरान सैकड़ो बच्चों की किताबों की जरूरत को पूरा करते हैं,
नए सत्र के दौरान हर समय अपनी गाड़ी में किताबें लेकर घूमने वाले मनोज मेंनवाल जरूरतमंद छात्र-छात्राओं के लिए किसी भगवान से काम नहीं सबसे बड़ी बात मनोज ने अपने इस अच्छे कार्य का कभी आज तक अपने मुंह से बखान भी नहीं किया