मकर संक्रांति पर्व पर कैप्टन डॉ. सुरेश कुमार सैनी ने किया 101वीं बार प्लेटलेट दान।
रिर्पोट दिशा शर्मा
अहमदाबाद गुजरात भारतीय सेना से सेवानिवृत्त कैप्टन डॉ. सुरेश सैनी ने अहमदाबाद स्थित गुजरात कैंसर अनुसंधान संस्थान के रक्त केन्द्र में 101वा प्लेटलेटस दान किया। इण्डियन रेड क्रॉस सोसायटी अहमदाबाद द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती युवा दिवस पर आयोजित दो दिन की कार्यशाला में भाग लेने गए डॉ सुरेश सैनी ने एक कैंसर के मरीज के लिए प्लेटलेट्स दान किया। उनके साथ महेंद्र जोशी ने भी अपना 202वा डोनेशन किया। महेंद्र जोशी अभी तक 126 बार रक्तदान और 76 बार प्लेटलेट्स दान कर चुके हैं। डॉ सुरेश सैनी ने बताया कि दो दिवसीय कार्यशाला में स्वैच्छिक रक्तदान पर जोर दिया गया। इस कार्यशाला में देश के सभी राज्यों से रक्तदाताओं और रक्तविरांगनाओं ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए। खासकर युवाओं को जागरूक करना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने बताया कि युवाओं को नशा छोड़कर स्वैच्छिक रक्तदान का नशा अपनाना चाहिए जिससे शरीर भी स्वस्थ रहेगा और जीवन में खुशहाली आएगी। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे मिशन रक्तक्रान्ति से जुड़े और स्वैच्छिक रक्तदान करें। मिशन रक्तक्रान्ति कोई संस्था नहीं है बल्कि एक सोच है। हम चाहते हैं कि भारत में रक्तक्रान्ति आयें ताकि कोई भी मरीज़ बिना रक्त के अपनी जान ने गंवाये। देश के मात्र दो प्रतिशत युवा अगर स्वैच्छिक रक्तदान करें तो वो दिन दूर नहीं जब भारत में रक्तक्रान्ति आ जायेगी। कैप्टन सुरेश सैनी ने बताया कि अहमदाबाद में इण्डियन रेड क्रॉस का शताब्दी भवन रक्त केन्द्र भारत का एकमात्र आधुनिक रक्त केन्द्र है, सभी को इस रक्त केन्द्र में जरूर एक बार विजीट करनी चाहिए।डॉ. सुरेश सैनी अब तक कुल 248 डोनेशन कर चुके हैं जिनमें 146 बार रक्तदान, 101 बार प्लेटलेट और एक बार प्लाज्मा शामिल हैं। उनका नाम वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, एशिया बुक आफ रिकार्ड, इन्डिया बुक आफ रिकार्ड सहित 50 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। उन्हें पद्म श्री के लिए 2023, 2024 और 2025 के लिए नामांकित किया जा चुका है। डॉ. सुरेश सैनी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जयंती युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है, इस युवा दिवस पर युवाओं को स्वैच्छिक रक्तदान का प्रण लेकर स्वामी विवेकानंद जी को सच्ची श्रद्धांजलि देनी चाहिए। कैप्टन सैनी ने बताया कि युवाओं को अपने महा पुरुषों से प्रेरणा लेनी चाहिए और मानवता की सेवा करनी चाहिए। स्वैच्छिक रक्तदान करना ही मानवता की सच्ची सेवा है