नागाओं के पहले गुरु है स्वामी अवधेशानंद गिरि। दस लाख से अधिक नागाओं को दे चुके हैं दीक्षा।
“”””वरिष्ट पत्रकार आदेश त्यागी की कलम से………
स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज
हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, लेखक और दार्शनिक हैं। स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं।उन्हें वर्ष 1998 ने जूना अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया था ।उन्हें जूना अखाड़े का प्रथम पुरुष माना जाता है। जूना अखाड़ा भारत में नागा साधुओं का बहुत पुराना और बड़ा समूह है।
विगत 25 वर्षों में कुंभ मेला के अवसरों पर स्वामी अवधेशानंद गिरि महराज जी ने लगभग दस लाख नागा साधुओं को दीक्षा दी है और वे नागा साधुओं के पहले गुरु हैं।
इनका हरिहर आश्रम विश्व विख्यात
इनका एक आश्रम प्रभु प्रेमी संघ के नाम से अम्बाला में है
स्वामी अवधेशानंद गिरि हिंदू धर्म आचार्य सभा के अध्यक्ष हैं और वर्ल्ड काउंसिल ऑफ रिलीजियस लीडर्स के बोर्ड मेंबर भी हैं।
जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर
अनन्तश्री विभूषित स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के श्रीपंचदशनाम जूनाअखाड़ा की
“आचार्यपीठ पर पदस्थापना के दिव्य 25 वर्ष” सम्पूर्ण होने के उपलक्ष्य में “श्रीदत्त जयन्ती“ के अवसर पर “दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव” मनाया जा रहा है।
जो 23 दिसम्बर से हरिद्वार में शुरू हो चुका है